किसी भी समय झारखंड कांग्रेस में मारपीट हो सकती है!

राजनीतिक संवाददाता द्वारा
रांची :किसी भी समय झारखंड कांग्रेस में मारपीट हो सकती है झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी में पूरी तरह से अनुशासन नाम का कोई चीज नहीं है !वरिष्ठ नेता आपस में एक दूसरे को नीचा दिखाने के लिए आतुर हैं, जिसके कारण अब कांग्रेस में अराजकता की स्थिति हो गई है, और अब किसी भी समय आपस में मारपीट की नौबत आ सकती है । कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी पर नेताओं ने जातिवाद का आरोप तक लगा दिया है।
इसी क्रम में पिछले दिनों प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में एक युवा नेता और वरिष्ठ कांग्रेसी के बीच मोर्चा खुला तो बातें जात-पात तक पहुंच गईं। बड़ी मुश्किल से मामला संभला, लेकिन कांग्रेस की यह झांकी ऊपर से लेकर नीचे तक देखने को मिल सकती है। खुद प्रदेश कांग्रेस प्रभारी पर भी इस तरह के आरोप लगने लगे हैं। उन्होंने अपने स्तर से जिला संयोजकों की सूची जारी की जिसमें पार्टी के पूर्व प्रवक्ता आलोक दुबे को गुमला जिला का संयोजक बनाया गया है। इस सूची का विरोध पार्टी में शुरू हो चुका है। विरोध इस बात पर अधिक है कि आदिवासी बहुल राज्य में जितने संयोजक आदिवासी बिरादरी से बनाए गए हैं, उतने ही ब्राह्मणों को रखा गया है बल्कि स्पष्टता से देखा जाए तो ब्राह्मणों की संख्या एक अधिक ही है। अहम बात यह है कि पूरे प्रदेश में ऐसे क्षेत्र कम ही हैं जहां ब्राह्मण मतदाता किसी उम्मीदवार की जीत सुनिश्चित कर सकें, दूसरी बात यह कि प्रदेश कांग्रेस प्रभारी स्वयं ब्राह्मण हैं जिस कारण से उनके इस निर्णय का विरोध हो रहा है।
झारखंड कांग्रेस में सदस्यता अभियान का हस्र सभी देख रहे हैं। समय सीमा बीतने के बाद कुछ दिनों के लिए सदस्यता अभियान को बढ़ाया गया है लेकिन अब जाकर जिलों में इसके प्रभारी की सूची को फिर से प्रदेश प्रभारी ने ट््वीट पर जारी किया है। नई-पुरानी टीम में तमाम पद प्रदेश के नेताओं को विश्वास में लिए बगैर तय हो रहे हैं। कुमार राजा को पश्चिमी सिंहभूम का जिला संयोजक बनाया गया है, जबकि उन्हें चतरा का सह समन्वयक भी बना दिया गया है। इससे भ्रम की स्थिति पैदा हो रही है। कई सीनियर नेताओं को अभी भी काम नहीं दिया गया है।
अभी चंद रोज पहले ही कांग्रेस के कई विधायकों ने विधायक इरफान अंसारी के नेतृत्व में बैठक कर न केवल कांग्रेस कोटे के मंत्रियों की जमकर आलोचना की थी, बल्कि उन्हें नकारा तक कह दिया था। इतना ही नहीं इन विधायकों ने झारखंड कांग्रेस प्रभारी अविनाश पांडेय पर भी कई गंभीर आरोप लगा दिया था। इन विधायकों का आरोप है कि अविनाश पांडेय मनमानी कर रहे हैं। उनकी बात नहीं सुनी जा रही है। कांग्रेस कोटा के मंत्री अपने विधायकों का काम नहीं कर रहे हैं। इससे जनता के बीच उन्हें परेशानी हो रही है। इन बागी विधायकों ने दो टूक कह रखा है कि वह सीधे राहुल गांधी से मिलकर अपनी बात रखेंगे। इस बगावती गुट का नेतृत्व विधायक इरफान अंसारी कर रहे हैं। उनका दावा है कि पार्टी के कई और विधायक भी अपने नेतृत्व से खुश नहीं हैं।
झारखंड कांग्रेस के विधायकों का अभी जो रवैया है, उसे शुभ संकेत नहीं कहा जा सकता है। आने वाले दिनों में इन विधायकों के बीच जमकर घमासान की आशंका है। झारखंड कांग्रेस प्रभारी अविनाश पांडेय इन विधायकों को किस तरह से साधते हैं, यह तो आने वाला समय ही बताएगा। लेकिन अभी कांग्रेस में सिरफुटौव्वल की स्थिति बनी हुई है। विधायकों की नाराजगी तेजी से बढ़ती जा रही है। मालूम हो कि कांग्रेस के अधिवेशन के दौरान भी एक बार असहज स्थिति उत्पन्न हुई थी, तब झारखंड सरकार के मंत्री बन्ना गुप्ता ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खिलाफ बयान दे दिया था। उन पर कांग्रेस को समाप्त करने का आरोप लगा दिया था।
झारखंड कांग्रेस में मचे इस घमासान के बीच अभी तक कांग्रेस अध्यक्ष राजेश ठाकुर या झारखंड प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडेय का कोई बयान सामने नहीं आया है। दोनों नेताओं ने इन मसलों पर पूरी तरह से चुप्पी साध रखी है। कांग्रेस कार्यकर्ता अपने दोनों नेताओं की चुप्पी से हैरान परेशान नजर आ रहे हैं। पार्टी के भीतर मचे घमासान को बस चुपचाप देख रहे हैं।
ऐसे तो इस स्थिति के लिए प्रदेश अध्यक्ष और राज्य के प्रभारी जिम्मेदार लग रहे हैं

 

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